मृत्यु के निकट आने की पहचान और इसके चंद मिनट पहले क्या सोचता है मनुष्य? पढ़िए एक हैरान करने वाला खुलासा!








कभी-कभी हमारे दिलो दिमाग मे मौत को लेकर कई बाते आती है, जैसे की मौत के बाद क्या होगा, मृत्यु के बाद हमारी आत्मा का क्या होता है? वो धरती पर ही रहती या कही और चली जाती है? अगर दोबारा जन्म मिले तो किस योनि मे जन्म मिलेगा? पुनर्जन्म किन किन पारिस्थतियों मे संभव है? आदि आदि। हजारो सालो की वैज्ञानिक शोधो, खोजो से अभी तक मृत्यु के बाद के रहस्यो के बारे मे कोई खास बात उजागर नही हो पाई है। इंसान भी इस असमंजस मे है की आखिरकार क्यो ऐसा हो रहा है इतने लंबे वर्षो से बड़े बड़े महान वैज्ञानिको के द्वारा भी इस चीज़ के बारे मे कोई खोज संभव नही हो पाई। ये तो मृत्यु के बाद की बात हो गयी। लेकिन जब मौत होती है तो उसके कुछ मिनटो पहले इंसान के साथ क्या होता है? इंसान अंतिम घड़ी मे क्या सोचता है? उसके दिमाग मे क्या चलता है? ये भी जिज्ञासा का ही विषय है।

अगर इस विषय के विशेषज्ञो की माने तो मृत्यु होने से पूर्व, इंसान अपने जीवन के उन लम्हों को याद करता है जिसका संबंध उसके अच्छे और बुरे होने से है। अंतिम समय मे व्यक्ति अपने उन बुरे कर्मो को, अत्याचारो को याद करता है जो उसने दूसरों पर किए है। हॉस्पिटल मे मौजूद नर्सों के मुताबिक जब वो उन लोगो के पास होती है जो मौत के बिलकुल निकट होते है, वो व्यक्ति मौत के अंतिम समय मे बिलकुल शांत रहते है। उस समय उनका दिल बड़ा हो जाता है और उस दौरान वो उन बांतों को भी खोलता जाता है जो उसने जीवन भर किसी से नही कही थी। इससे उसका मन हल्का होता जाता है, वह और भी शांत हो जाता है।

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वह इंसान अपने जीवन पर दुख प्रकट करते हुए कहता है की उसने इस दुनिया मे आने का कोई लक्ष्य ही हासिल नही किया। उसने वो सब कुछ क्यो नही किया जिसके लिए वह इस दुनिया मे भेजा गया था।

चलिए हम भी आगे इसी तरह के तथ्यो के बारे मे पढ़ते है जिसे इंसान मरने से पहले एक बार जरूर याद करता है।

अपने सपने पूरा न होने का दुख –

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यह एक समान्य बात है की इंसान के सपने जब पूरे नही होते तो वह दुखी होता है, लेकिन इंसान को इसका सबसे ज्यादा दुख मरने से चंद मिनटो पहले होता है। जब अंतिम समय निकट आ जाता है तब इंसान अपने जीवन के सारे पलो को फ्लैश बेक मे जाकर याद करता है, जिसको या तो उसने पूरा नही किया, या उसने शुरू ही नही किया था।

इंसान अंतिम घड़ी मे बेहद दुखी होता है अंदर से की वो अपने परिवार के लिए वो सब नही कर पाया जो वह उनकी बेहतरी के लिए करना चाहता था। इस तरह की बातें खासतौर पर पुरुषों के अंदर होती है, क्योकि परिवार की अधिकतर ज़िम्मेदारी उन्ही के कंधो पर होती है। वही अपने परिवार के रहन सहन, जीवनचर्या के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए अंतिम समय मे वह अपने को दोषी मानते हुए वह इसके लिए खेद प्रकट करता है।

काश मुझे खूद की भावनाओं को व्यक्त करने की कोई प्रेरणा मिल जाती –

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ये खेद व्यक्ति जीवित रहने के दौरान भी प्रकट कर चुका होता है। जैसे की काश मैं उसे अपने अंदर की भावनाए बता पाता तो आज वह मेरी होती। अपनी भावनाए न बता पाने के कारण मुझे मेरे दोस्तो, मेरे चाहने वालों और मेरे करीबियों ने गलत समझा। इस तरह की भावनाए भी मरने से पहले व्यक्ति को कचोटती है।


यदि मैं दोस्तो और करीबियों के साथ सच्चा रिश्ता निभा पाता –

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इसका एहसास इंसान को सबसे ज्यादा होता है और तब होता है जब, अपनी ज़िंदगी मे अपनी ही दोस्तों को मुसीबत के समय छोड़ दिया या धोखा दिया हो, या फिर उसने दोस्ती होने के फर्ज़ नही निभाया हो। मृत्यु होने से पहले वही व्यक्ति अपने इन्ही दोस्तों से माफी मांगना चाहेगा। वह यह कोशिश भी करता है जीवन मे कभी भी उसके मित्र उसे अपनी गलती के लिए कोई दोष न दे, बल्कि एक बार माफ जरूर कर दे।

यदि मे खुद को खुश रख पाता –

सबकी बातें अपने दिलो दिमाग से करने के बाद, सबसे अंत मे व्यक्ति खुद के बारे मे भी सोच विचार करता है। स्वयं को खुश रखने के लिए उसने क्या क्या किया? उसने कुछ नही किया? क्यो नही किया? क्यों वह परंपराओं को निभाने के फेर मे आधुनीकता से दूर हो गया ?

मृत्यु के निकट आने की पहचान कैसे? 

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*जरूरी नही के ये पहचान के लक्षण हर इंसान मे देखने मिले या ये भी जरूरी नही के बिलकुल ऐसा नही होता है। लेकिन ये वैज्ञानिक गाइड के रूप मे है। की मौत से कुछ समय पहले हमारे शारीरिक, मानसिक, और स्वास्थ्य मे क्या क्या बदलाव होता है -

मरने से एक या तीन महीने पहले :

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- दुनिया और लोगो को छोड़कर जाने की तैयारी शुरू

- खाने की मात्रा कम हो जाना

- सोने का समय बढ़ जाना

- बातचीत पहले से कम कर देना

- अकेले अकेले आना जाना या अकेले रहना पसंद करना

एक या दो सप्ताह पूर्व क्या होता है :

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- जो न दिखता हो उससे बात करना

- कपड़ो का चयन करना

- बहुत सारा भ्रम होना

- ब्लड प्रेसर कम हो जाना

- उसे लगता है वह भटक रहा है

- अपने आप से लड़ता है

- अधिक पसीना आना

- चारो तरफ भीड़ का एहसास होना

- चमड़ी का रंग बदलना

- सांस लेने मे तकलीफ होना

- भूख लगने मे कमी

- थकान लगना और शरीर भारी-भारी लगना

- तरल पदार्थो के सेवन मे कमी

- सोया हुआ लेकिन रेस्पोंस दे सकना

- पल्स रेट बढ़ना, घटना

- बॉडी का तापमान गरम, ठंडा होना

मृत्यु के कुछ घंटो या दिनो पहले : 


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- पिछलि बातें याद आना

- आँखें कम खुलना या पानी आना

- घुटनो या पैरो पर थोड़े थोड़े मुहासे निकलना

- पेशाब आने मे कमी

- पल्स कमजोर या इसमे कमी

- शरीर की ऊर्जा बढ़ जाना

- बैचेनी या कोई गतिविधि न करना

- सांस लेने मे तकलीफ

मृत्यु से कुछ मिनट पहले : 

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- जैसे मछ्ली पानी से बाहर आ गयी हो वैसा महसूस होना

- जागने की उम्मीद कम रहना

मृत्यु के समय :

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- अंत मे एक लंबी, गहरी, सांस लेना!


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