रेप करते हुए अपराधी के दिमाग में चलती हैं ये बातें, ऐसी सोच रखते हैं रेपिस्ट





हाल ही में UK के एंजिला रस्किन यूनिवर्सिटी की एक स्टूडेंट मधुमिता पाण्डेय ने अपने शोध के लिए की गई स्टडी लोगों के सामने रखी है। अपराध-विज्ञान की स्टूडेंट मधुमिता जब 22 साल की थी, तब उन्होंने तिहाड़ जेल बंद करीब 100 रेपिस्ट्स से बातें की थी। कैदियों पर किए गए इस रिसर्च में यह बताया गया है कि एक बलात्कारी के दिमाग में रेप करने से पहले क्या क्या ख्याल आतें है? कुछ ऐसी सोच रखते हैं रेपिस्ट...


2013 में निर्भया गैंग रेप के बाद National Crime Records Bureau के अनुसार 2015 में 34651 रेप की घटनाएं दर्ज की गई थी। ये आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता था। अगर हर किसी ने इसकी रिपोर्ट की होती तो। भारत में कई लोग इस अपराध के खिलाफ आवाज नहीं उठाते। ताकि उनकी बदनामी ना हो। इसी बात को ध्यान रखते हुए मधुमिता ने अपनी स्टडी के लिए इस टॉपिक का चुनाव किया। मधुमिता की स्टडी में रेपिस्ट के दिमाग में चलने वाली कई बातें सामने आई। जब मधुमिता ने रेपिस्ट्स से बातें की, तो कई बार वो हैरान रह गई। उनके मुताबिक, रेपिस्ट इंसान तो नहीं होते। हां, उन्हें जानवर जरूर कहा जा सकता है। 100 में काफी कम के अंदर ही अपने अपराध के लिए आत्मग्लानि थी।





रूढ़िवादिता है मुख्य कारण
मधुमिता ने अपने रिसर्च में कुछ अपराधियों से प्रश्न करते हुए यह पाया की वे अशिक्षित होने के साथ अश्लील और असमाजिक भी थे। मधुमिता ने यह भी पाया कि इनका पालन पोषण पिछड़े तबके में हुआ था। वहां के माहौल के कारण महिलाएं इनके लिए मात्र भोग की वस्तु थी।



क्या है ऐसी घटनाओं का कारण

उनके अनुसार अधिकतर अपराधियों का यह मानना था कि औरतें सिर्फ एक मनोरंजन का साधन होती हैं औरइन्हें कचरे की तरह इस्तमाल करके फेंक देना चाहिए।


मर्दानगीं की अलग परिभाषा

इस प्रकार के आदमी यह मानतें थे कि वे औरतों से ज्यादा श्रेष्ठ हैं और औरतें उनके मुकाबले दबी और लाचार हैं। भला महिलाएं अपनी रक्षा कैसे कर सकती हैं या अपने हक की बातें कैसे सोच सकती हैं?


भावनाओं का होता है आभाव

मधुमिता ने रिसर्च में यह भी देखा की इस तरह के अपराधी अपने अपराध के लिए आपके मन में दया की भावना पैदा कर देते हैं। वो अपने आप को बेचारा दिखाते हैं। वो ये भूल जाते हैं कि जो अपराध उन्होंने किया है वो कितना गंभीर है।


सेक्स एजुकेशन का ना होना है मुख्य कारण



हमारे समाज में सेक्स को लेकर बनी हुई पूर्व धारणाओं के कारण हम इसके बारे में बात करने से भी कतराते हैं, जिसके कारण आज के युवाओं को इसके विषय में सही और गलत का ज्ञान नहीं होता है। ज्ञान का ये अभाव ही रेप को बढ़ावा देता है।


क्या यह संभव है ?

एक अपराधी के बयान के अनुसार, “मैं यह मानता हूं की मैंने उसका जीवन खराब कर दिया है, जिसके लिए मैं बुरा महसूस करता हूं और मैं यह जानता हूं कि शायद कोई उससे शादी भी नहीं करेगा। मैं जेल से आने के बाद उससे शादी करना चाहूंगा।


रिसर्चर के अनुसार-

मधुमिता कुछ ही दिनो में अपना यह रिसर्च पेपर पब्लिश करेंगी।उनके मुताबिक, लोगों को लगता है कि एक और नारीवाद महिला आ गई है।
उनके मुताबिक, कई आदमी उनकी सोच के खिलाफ ये सोच रखते हैं कि शायद वो मर्दों को गलत ढंग से दुनिया के सामने पेश करेंगी। लेकिन उनका उद्देश्य मात्र रेपिस्ट की सोच को दुनिया के सामने लाना है।



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